सनातन धर्म (Sanatan dharma) में पंच देवों में भगवान सूर्य का भी नाम आता है। हिंदू धर्म (Hindu dharma) में भगवान सूर्य को एक विशेष स्थान दिया गया है। भगवान सूर्य की पूजा रोज की जाती है।
रोज स्नान के पश्चात भगवान सूर्य (Bhagwan surya) को जल समर्पित किया जाता है। भगवान सूर्य को ही समय का चक्र माना जाता है।
कोणार्क सूर्य मंदिर का इतिहास : Konark Sun temple ka Itihas
भारत के उड़ीसा राज्य में स्थित कोणार्क शहर का सूर्य मंदिर (Sun temple) भारत का प्रसिद्ध मंदिरो में से एक है।
कोणार्क सूर्य मंदिर (Konark surya mandir) भारत के गिने-चुने सूर्य मंदिरों में सर्वश्रेष्ठ सूर्य मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण फिर भी शताब्दी में उड़ीसा के राजा नरसिंह देव प्रथम (Narsingh dev) के द्वारा 1250 ई. में बनाया गया था।
धार्मिक मान्यता : Dharmik Manyata
पुराने ग्रंथों के अनुसार जब श्रीकृष्ण (Shree Krishna) के पुत्र सांब को उनके श्राप से कोढ़ रोग हो गया था। तो सांब ने मित्रवन में चंद्रभागा नदी के सागर संगम पर कोणार्क में 12 वर्षों तक तपस्या की और सूर्य देव को प्रसन्न किया।
सूर्य देव (Surya dev) जो सभी रोगों के नाशक थे, उन्होंने इनका भी रोग का निवारण कर दिया था। अपने रोग - नाशन के पश्चात सांब को चंद्रभागा नदी (Chandrabhaga river) में स्नान करते हुए एक सूर्य देव की मूर्ति मिली।
इसके पश्चात सांब ने अपनी भक्ति दिखाते हुए सूर्य भगवान का एक सूर्य मंदिर (Sun temple) बनाने का प्रत्न किया। और मंदिर बनाने के पश्चात् उस सूर्य देव की मूर्ति को मंदिर में स्थापित किया।
स्थापत्य कला : Sthapatya kala
इस मंदिर की रचना सूर्य भगवान की रथ के प्रति रूप में की गई है। इसमें सात घोड़ों द्वारा रथ को खींचते हुए दिखाया गया है। रथ के पहिए जो बगल में है वह स्थापित प्रतीत होते हैं।
इस पूरे सूर्य मंदिर (Sun temple) का निर्माण केवल पत्थरों से कीया गया है। इस मंदिर को बनाने में लाल बलुआ पत्थर तथा काले ग्रेनाईट की पत्थर का उपयोग हुआ है।
चुंबकीय पत्थर : Chumbakiya patathar
कहा जाता है कि इस मंदिर को बनाते वक्त मंदिर के चोटी में एक बड़े चुंबकीय पत्थर का भी इस्तेमाल किया गया था। वह चुंबकीय पत्थर बाकी पत्थर को एक स्थान पर संतुलन बनाए रखने में मदद करता था।
परंतु उस चुंबक के पत्थर की वजह से इसके निकट के समुद्र में चलती जहाजें अपना संतुलन खो कर इस मंदिर की ओर खिंची चली आती थी। और ध्वस्त हो जाती थी।
इसके वजह से उस चुंबक के पत्थर को मुगल काल में मुगलों द्वारा मंदिर से हटवा दिया और तत्पश्चात मंदिर के पत्थर का संतुलन बिगड़ गया और मंदिर का कुछ हिस्सा ध्वस्त हो गया।
समय चक्र : Time cycle
मंदिर का मुख्य भाग मंदिर में बनी रथ (Rath) का है। जिसमें सूर्य देव को विराजमान दिखाया गया है। इस रथ को सात घोड़ो द्वारा खींचते हुए दिखाया गया है।
सात घोड़े सप्ताह के 7 दिनों को दर्शाता है। और रथ में 24 पहिए लगे हुए हैं जो दिन के 24 घंटे को दर्शाता है।
और 12 जोड़े पहिए का मतलब वर्ष के 12 महीने को दर्शाता है।
चुकी सनातन धर्म में समय का चक्र सूर्य को ही माना गया है। इसी के अनुसार इस मंदिर को बनाया गया है।
मंदिर विवाद : Mandir vivad
इस देश में जब से मुगल (मुस्लिम) का आगमन हुआ था, तब से भारत के मंदिरों को तोड़ने का लगातार प्रयास किया जा रहा था।
सन् 1557 ई. में उड़ीसा में मुस्लिमों का आतंक (अत्याचार) लगभग नियंत्रण में था परंतु फिर भी मंदिरों को तोड़ने का प्रयास लगातार जारी था।
परंतु जब सूर्य मंदिर को भी तोड़ने का प्रयास किया जाने लगा तब वहां पूजा करने वाले पांडवों ने मिलकर भगवान सूर्य (Bhagwan surya) की मूर्ति को मंदिर से हटाकर कोई विशेष सुरक्षित स्थान पर छुपा दिया था।
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Konark sun temple |
यह मंदिर काफी प्रसिद्ध होने के कारण टूरिस्ट प्लेस के लिए आकर्षण का केंद्र है। यहां पर रोज भारी मात्रा में लोग मंदिर का दर्शन करने आते हैं।
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