Hampi Temple - Vastukala - Hampi Rath history in Hindi
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Hampi Temple history |
हम्पी मध्यकालीन भारत में दक्षिण भारत में स्थित विजय नगर साम्राज्य की राजधानी थी।
हम्पी क्या होता है ?
दरअसल हम्पी (Hampi) एक गांव का नाम है, जो प्राचीन भारत में वास्तुकला सौंदर्य का एक विशाल महाखंड हुआ करता था। यहाँ लगभग 500 से भी अधिक मंदिर हुआ करता था। परंतु समय के साथ सब खंडहर में परिवर्तित हो गया।
हम्पी का इतिहास : History of Hampi
हम्पी कहाँ स्थित है ?
हम्पी कर्नाटक की कृष्णा और तुंगभद्रा नदियों की घाटी में स्थित है। हरिहर (Harihar) एवं बुक्का (Bukka) नामक दो भाइयों के द्वारा विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 ई. में की गई थी।
कृष्ण देव राय (Krishna dev roy) के शासनकाल में हम्पी अपनी समृद्धि की चरम सीमा पर थी। यह स्थापत्य कला (Sthapatya kala) व्यापार आदि के लिए प्रसिद्ध थी। इसके तीन दिशाओं में खड़ी चट्टानों की प्राकृतिक दीवारें हैं। वर्तमान में यह खंडहर के रूप में मौजूद है।
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Hampi Temple history |
स्थापत्य कला : Sthapatya kala
हंपी के शानदार खंडहरों से पता चलता है कि यहाँ कभी समृद्धशाली साम्राज्य रहा होगा। यहाँ की किलेबंदी उच्च कोटि की थी। किले की दीवारों को शीलाखंडों के आपस में फंसाकर (पजल विधि द्वारा) बनाया गया था। इसमें गारे-चुने जैसे किसी भी जोड़ने वाले मसाले का प्रयोग नहीं किया गया था।
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हम्पी की वास्तुकला विशिष्ट प्रकार की थी। यहाँ भव्य मेहराब और गुंबद से युक्त शाही भवनों का निर्माण होता था। यहाँ स्तंभों वाले कई विशाल कक्ष बने थे। जिनमें मूर्तियों को रखने के लिए स्थान होते थे। यहाँ कई सुंदर मंदिर बनवाए गए थे।
विरुपाक्ष मंदिर (Virupaksha temple) एवं विट्ठलस्वामी मंदिर (Vitthal swami) यहाँ की तत्कालीन वास्तुकारीता के अनुपम उदाहरण है। हम्पी में विट्ठल स्वामी मंदिर सबसे ऊँचा है। मंदिर का भीतरी भाग काफी लंबा है और इसके बीच में ऊँची वेदिका बनी है।
हम्पी भारत आकर्षक स्थल
यह रथ भारत (Bharat) में काफी प्रसिद्ध है। विट्ठल भगवान का रथ एक ही पत्थर को काटकर बनाया गया है। रथ पर की गई नक्काशीयाँ किसी का भी मन मोह लेती है। वाकई प्राचीन काल की वास्तुकला आश्चर्यजनक थी।
मंदिर के निचले भाग में सभी जगह सुंदर नक्काशी की गई है। मंदिर सांस्कृतिक गतिविधियों के केंद्र होते थे। उन दिनों हम्पी में महानवमी पर्व एक महत्वपूर्ण पर्व होता था।
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यहाँ पर सुव्यवस्थित बाग बगीचे भी थे, जिनमें बने कमल और टोडों की आकृति मूर्तिकला के नमूने थे। 15 - 16वीं शताब्दीयों के अपने समृद्धकाल में हम्पी कई वाणिज्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र रहा था।
1556 ई. में दक्कनी सुल्तानों गोलकुंडा, बीजापुर, अहमदनगर, बरार और बीदर के शासकों के हाथों विजयनगर की पराजय के बाद हम्पी का अस्तित्व समाप्त हो गया।
हम्पी में स्थित इस रथ को प्रसिद्ध होने के कारण यहाँ पर रोज हजारों सैलानी इस मनोरंजन दृश्य का आनंद लेने के लिए आते हैं। हम्पी नगर को यूनेस्को के विश्व विरासत स्थलों में शामिल किया गया है।
फिलहाल भारत में ₹50 की नई नोट में हम्पी के रथ की तस्वीर को देखा जा सकता है।
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