Rajrajeshwara Mandir - Brihadeeswara Mandir - Tamil Nadu - In HIndi
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Raj Rajeshwar mandir - Brihadeeswara mandir |
राजराजेश्वर मंदिर या फिर बृहदेश्वर मंदिर, दोनों एक ही मंदिर है। यह मंदिर दो अलग-अलग नामों से प्रचलित है।
यह मंदिर तमिलनाडु के तंजौर में स्थित है। इसका निर्माण चोल वंश के शासक राजराज प्रथम (Raj raj paratham) में 11वीं शताब्दी में करवाया था। यह मंदिर भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। राजराजेश्वर मंदिर (Rajarajeshwara temple) दक्षिण भारत में प्राचीन काल के बेहतरीन वास्तुकला का एक उदाहरण है।
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मंदिर का स्थापत्य कला : Mandir sthapatya kala
विशालकाय पत्थरों से बना यह मंदिर बहुत ही भव्य और सुंदर तरीके से बनाया गया है। इसकी बनावट किसी भी व्यक्ति को आश्चर्य में डाल सकती है।क्योंकि यह ऐसी जगह में बना हुआ है जहाँ दूर-दूर तक न कोई पत्थरों का पहाड़ है और ना ही कोई पत्थरों का खदान है। तो इस मंदिर को बनाने के उपयोग में आए पत्थर कहां से लाए गए थे ?
इस मंदिर को बनाने के लिए कितने सारे और विशालकाय पत्थर बाहर से लाए गए थे। जिसे लाने में तीन हजार हाथियों का उपयोग किया गया था।
इस मंदिर को पूरी तरह से ग्रेनाइट पत्थरों से बनाया गया है। विश्व में प्रथम और एकमात्र मंदिर है, जो पूरी ग्रेनाइट पत्थर से बना हुआ है।
इस मंदिर के कुल ऊँचाई 216 फीट है। इस मंदिर की ऊँचाई से ही इस मंदिर की भव्यता का अनुमान लगाया जा सकता है। इस विशालकाय मंदिर को यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया।
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Raj Rajeshwar mandir - Brihadeeswara mandir |
बृहदेश्वर मंदिर का इतिहास : Brihadeeswara mandir ka itihas
बृहदेश्वर मंदिर (Brihadeeswara temple) भगवान शिव की मंदिर है। जिसमें एक विशाल शिवलिंग और विशाल नंदी जी विराजमान है। चोल वंश के राजा राजराज प्रथम ने इसका निर्माण करवाया था। इसलिए इसे राजराजेश्वर मंदिर नाम दिया गया था।परंतु लोग इसे बृहदेश्वर मंदिर के भी नाम से जानते हैं।इसे भी जाने कोणार्क का सूर्य मंदिर (उड़ीसा)
इस मंदिर के लिए एक विशेष खूबी है, जो इसे और भी आकर्षित बनाती है। इस मंदिर के गुंबद की परछाई धरती पर नहीं पड़ती है। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इतने विशाल होने के बावजूद इनकी परछाई धरती पर नहीं पड़ती।
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Raj Rajeshwar mandir - Brihadeeswara mandir |
विश्व के विशाल संरचनाओं में इस मंदिर का नाम आता है। इस मंदिर की भव्यता से सभी लोग आकर्षित हो जाते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि यह मंदिर पिरामिड (Pyramid) की तरह दिखता है। चुंकी इसका आकर पिरामिड की तरह त्रिकोण है।
यह मंदिर प्रसिद्ध होने के कारण रोज हजारों सैलानी यहां इस मंदिर की सुंदरता का आनंद लेने आते हैं। यह मंदिर तीर्थ के लिए भी एक पवित्र स्थान मानी जाती है। रोज यहां लोग तीर्थ के लिए भी आते हैं।यहां पर रोज भारी मात्रा में लोग मंदिर का दर्शन भी करने आते हैं।
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